Pope : जब दुनिया में एक साथ तीन पोप हो गए
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कभी सोचा है कि एक धर्म, एक चर्च और एक पोप (Pope) होने के बावजूद कैथोलिक दुनिया में ऐसा वक्त भी आया था जब एक नहीं, दो-दो पोप खुद को ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित कर बैठे? इतिहास इसे Great Western Schism कहता है, लेकिन यह कोई सीधा-सादा धर्मगुरुओं का विवाद नहीं था - यह एक ऐसा राजनीतिक-धार्मिक संग्राम था, जिसने पूरे यूरोप को हिला दिया।
तो, चलिए लौटते हैं 14वीं सदी के उस अंधेरे गलियारे में… जहां सिर्फ चोगा ही सफेद था, नीयत नहीं।
क्या था Great Western Schism?
Great Western Schism यानी 'महान पश्चिमी विभाजन', वो दौर था जब 1378 से 1417 तक कैथोलिक चर्च में दो - और एक समय पर तीन पोप (Pope) एक साथ दावा करते रहे कि वही असली पोप हैं।
यानी एक ही चर्च, लेकिन दो (फिर तीन) अलग-अलग 'वैटिकन' - एक रोम में, दूसरा फ्रांस के Avignon में, और एक तीसरा Pisa में।
इस संकट की शुरुआत कैसे हुई? (Causes of Great Western Schism)
इसके बीज उस समय पड़े जब Pope Gregory XI की मृत्यु के बाद नए पोप का चुनाव हुआ। लेकिन ये चुनाव सामान्य नहीं था, बल्कि डर, दबाव और राजनीति की छाया में हुआ।
हुआ यह कि 14वीं सदी की शुरुआत में पोप क्लेमेंट V रोम छोड़कर फ्रांस के Avignon शहर में बस गए। यह घटना चर्च के इतिहास में 'Avignon Papacy' के नाम से जानी जाती है, जो लगभग 70 साल (1309–1377) तक जारी रही। चर्च की सत्ता फ्रांसीसी प्रभाव में आ गई। इससे यूरोप भर में यह धारणा बनने लगी कि पोप अब राजनीतिक रूप से पक्षपाती हो चुके हैं।
1378 में जब पोप ग्रेगोरी XI का निधन हुआ और उन्हें रोम में दफनाया गया, तो नया पोप (New Pope Election) चुनने के लिए कार्डिनल्स की एक सभा बुलाई गई। रोम की जनता ने दबाव बनाया कि अगला पोप इतालवी होना चाहिए। भीड़ ने जबरन कार्डिनलों को धमकाया कि अगर उन्होंने कोई विदेशी चुना तो अंजाम बुरा होगा।
नतीजा यह हुआ कि Urban VI नए पोप चुने गए। लेकिन कुछ कार्डिनल्स ने आरोप लगाया कि यह चुनाव डर और दबाव में हुआ था। उन्होंने फ्रांस जाकर फिर से नए पोप (Pope) का चुनाव किया।
कार्डिनल्स ने फ्रांस के Robert of Geneva को नया पोप चुना। उन्होंने अपना नया नाम रखा - Pope Clement VII। उन्होंने फिर से फ्रांस के Avignon को ही अपना केंद्र बनाया।
अब यूरोप में दो पोप (Pope) हो चुके थे। दोनों ने एक-दूसरे को 'झूठा पोप' कहा, एक-दूसरे को बहिष्कृत किया। और यहीं से शुरू हुआ Great Schism।
दुनिया दो हिस्सों में बंट गई थी
जो पोप (Pope) रोम में बैठा था, उसे इंग्लैंड, जर्मनी, और इटली का समर्थन था। वहीं, Avignon के पोप को फ्रांस, स्कॉटलैंड, और स्पेन का साथ मिला।
यह सिर्फ धर्म का नहीं, राजनीति, सत्ता और देशों के वर्चस्व का संघर्ष बन गया। चर्च की नैतिकता तो दरकिनार हो गई थी। हर दरबार अपने पोप (Pope) के साथ खड़ा था।
तीसरा पोप भी मैदान में!
जब लगा कि दो पोपों (Pope) के झगड़े का अंत नहीं होगा, तो 1409 में एक काउंसिल बुलाई गई, Council of Pisa। कहा गया कि दोनों मौजूदा पोपों को हटाकर तीसरा चुना जाएगा। पर नतीजा?
दोनों पुराने पोप (Pope) हटे नहीं... और नया पोप भी बन गया—Alexander V।
अब यूरोप में तीन पोप हो गए थे। यानी एक धार्मिक भ्रम की ऐसी स्थिति जो आस्था और विश्वास के ताने-बाने को तार-तार कर रही थी।
कैसे खत्म हुआ टकराव
1414 से 1418 तक चला Council of Constance इस संकट का निर्णायक मोड़ था। इस महासभा ने सभी तीन पोपों (Pope) को हटा दिया और एक नए पोप - मार्टिन V - का चुनाव किया। इस तरह चर्च फिर से एक हुआ। लेकिन उस वक्त तक उसकी नैतिक और राजनैतिक साख पर काफी गहरा धब्बा लग चुका था।
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