Diabetes : क्या टहलने-घूमने से ठीक हो सकता है डायबिटीज?
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डायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस (Diabetes and insulin resistance) को कंट्रोल करने में व्यायाम की भूमिका क्या है? जानिए किस समय, कितने और किस तरह के एक्सरसाइज से ब्लड शुगर बेहतर होता है।
कभी जो शुगर की बीमारी सिर्फ उम्रदराज लोगों में पाई जाती थी, आज वो घर-घर में दस्तक दे रही है। खाने की बदलती आदतें, दिनभर की कुर्सी वाली जिंदगी और तनाव ने डायबिटीज (Diabetes) को महामारी बना दिया है।
दुनियाभर में इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है - एक ऐसी हालत जिसमें शरीर इंसुलिन का ठीक से जवाब नहीं देता। इसका नतीजा? थकान, चिड़चिड़ापन, वजन बढ़ना और कई बार हल्का चक्कर आना।
लेकिन अच्छी खबर ये है कि इस बीमारी को दवा नहीं, बल्कि चलने-फिरने से हराया जा सकता है। जी हां, व्यायाम यानी नियमित तौर पर शरीर को सक्रिय रखना, डायबिटीज की रोकथाम और इलाज (Prevention and treatment of diabetes) में उतना ही अहम है जितना कि आपकी डाइट।
डायबिटीज और व्यायाम का रिश्ता क्या है (The relationship between diabetes and exercise)
डायबिटीज केवल मीठा खाने से नहीं होती। इसमें genetics, मोटापा, जीवनशैली और तनाव जैसे कई कारक शामिल हैं। लेकिन रिसर्च यह भी कहती है कि अगर आप हर दिन सिर्फ थोड़ा-सा समय शारीरिक गतिविधि को दें, तो आप न केवल ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि अपनी इंसुलिन सेंसिटिविटी में भी सुधार ला सकते हैं।
जब हम एक्सरसाइज करते हैं, तो हमारी मांसपेशियां खून में मौजूद ग्लूकोज का सीधा उपयोग करने लगती हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल तेजी से घटता है। यही नहीं, व्यायाम शरीर के अंदर जमा विसरल फैट यानी अंगों के आसपास की खतरनाक चर्बी को भी घटाता है - जो डायबिटीज (Diabetes) और मेटाबोलिक डिसऑर्डर का एक बड़ा कारण है।
कौन-से व्यायाम सबसे असरदार होते हैं?
(Best Exercises for Blood Sugar, Strength Training for Insulin Sensitivity)
अब सवाल यह उठता है कि किस प्रकार का व्यायाम सबसे ज्यादा असर करता है? विशेषज्ञ कहते हैं कि दो मुख्य प्रकार के व्यायाम ब्लड शुगर कंट्रोल में विशेष रूप से कारगर पाए गए हैं -
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) यानी वजन उठाना, पुश-अप्स, स्क्वाट्स जैसे व्यायाम जो मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
- हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) मतलब ऐसे व्यायाम जिसमें तेज गति और ब्रेक को बारी-बारी से दोहराया जाता है।
रिसर्च में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के मरीजों में शुगर लेवल कंट्रोल होता है। साथ ही, मांसपेशियों की कोशिकाओं में मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या बढ़ती है। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं का पावरहाउस कहते हैं। ये ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने में मदद करते हैं।
किस तरह की वॉक अच्छी है
हल्की वॉक दिल के लिए अच्छी है, लेकिन मांसपेशियां नहीं बनाती। और डायबिटीज (Diabetes) से लड़ने के लिए मांसपेशियों को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है, खासकर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए।
एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि जब लोगों ने भारी वजन उठाए, तो उनके ब्लड शुगर पर बेहतर असर हुआ बनिस्बत हल्के और आसान वजन वाले व्यायाम के।
डायबिटीक देशों में टॉप 5 में भारत (Top diabetic countries in the world)
- चीन - 14.9 करोड़
- भारत - 7.4 करोड़
- पाकिस्तान - 3.3 करोड़
- अमेरिका - 3.2 करोड़
- इंडोनेशिया - 1.9 करोड़
कब करें व्यायाम?
(Best Time to Exercise for Diabetes, Afternoon Exercise for Blood Sugar)
अब जब व्यायाम करना जरूरी है, तो यह जानना भी अहम है कि कब करना सबसे फायदेमंद रहेगा?
अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं और आपको इंसुलिन से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं है, तो दिन के किसी भी समय व्यायाम किया जा सकता है। लेकिन अगर आप प्री-डायबिटिक हैं या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से ग्रसित हैं, तो दोपहर के वक्त एक्सरसाइज़ करना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
इसकी वजह यह है कि जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी घटती जाती है। ऐसे में दोपहर का व्यायाम ब्लड शुगर के स्पाइक को कंट्रोल करने में मदद करता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हफ्ते में कम से कम तीन बार एक्सरसाइज करें। कभी भी एक्सरसाइज में लगातार दो दिन का ब्रेक नहीं होना चाहिए। एक्सरसाइज का सबसे बेहतरीन समय है खाना खाने के 30 मिनट बाद। इससे भोजन के बाद होने वाली शुगर स्पाइक को कम किया जा सकता है।
अगर आप सुबह ही व्यायाम करना पसंद करते हैं, तो ध्यान रखें कि वर्कआउट से पहले बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट न खाएं। हल्का प्रोटीन, फल या ओट्स जैसे स्वस्थ विकल्प चुनें।
डायबिटीज पर लाइफस्टाइल का असर (The effect of lifestyle on diabetes)
अगर किसी को हाल ही में डायबिटीज का पता चला है या वह प्री-डायबिटिक स्थिति में है, तो लाइफस्टाइल में बदलाव ही सबसे बड़ा इलाज है। डाइट और एक्सरसाइज से न केवल बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि कई बार इसे पूरी तरह पलटा भी जा सकता है।
डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसे बस दवाओं के भरोसे छोड़ा जा सके। यह शरीर की एक चेतावनी है - उठो, चलो, और अपने जीवन को फिर से संतुलित करो। व्यायाम न केवल शुगर को कंट्रोल करता है, बल्कि आत्मविश्वास, ऊर्जा और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है।
इसलिए अगली बार जब ब्लड रिपोर्ट में शुगर की लाइन ऊपर जाए, तो घबराइए मत - जूते पहनिए, और चल पड़िए अपने शरीर की आज़ादी की ओर।
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