FATF : ग्रे लिस्ट में आया तो मुंह काला होगा पाकिस्तान का
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भारत FATF की जून 2025 की बैठक में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी कर रहा है। जानिए FATF क्या है, ग्रे और ब्लैक लिस्ट का क्या असर होता है और भारत का यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और छवि को कैसे प्रभावित कर सकता है।
भारत एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक मोर्चा खोलने की तैयारी में है। इस बार निशाने पर है Financial Action Task Force (FATF) - आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, भारत पाकिस्तान को फिर से FATF की 'ग्रे लिस्ट' में डालने के लिए पुख्ता डोजियर तैयार कर रहा है, जिसे जून में होने वाली FATF की प्लेनरी मीटिंग में पेश किया जाएगा।
FATF क्या है?
FATF यानी Financial Action Task Force, 1989 में बनी एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य है मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और वित्तीय अपराधों की निगरानी और रोकथाम। इसका मुख्यालय पेरिस में है। FATF के 40 सदस्य देश हैं और 200 से ज्यादा जूरिस्डिक्शन (देश/क्षेत्र) इसके दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं।
FATF दो प्रमुख सूचियां बनाता है -
ग्रे लिस्ट (Grey List) : इसमें वे देश आते हैं जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे होते, लेकिन उन्होंने सुधार के लिए प्रतिबद्धता जताई होती है। इन देशों को FATF 'Increased Monitoring' यानी कड़ी निगरानी में रखता है।
ब्लैक लिस्ट (Black List) : इसमें वे देश आते हैं जो FATF के दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हैं और सहयोग नहीं करते। इन देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं, जैसे विदेशी निवेश में कमी, IMF और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं से फंडिंग रुकना आदि।
पाकिस्तान कब-कब FATF की लिस्ट में रहा?
2012-2015 : पाकिस्तान पहली बार ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ।
2018-2022 : एक बार फिर FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला।
इस दौरान पाकिस्तान (Pakistan) को कुल 34 शर्तों पर कार्रवाई करनी थी, जिनमें आतंकी संगठनों पर पाबंदी, जांच एजेंसियों का ट्रैकिंग सिस्टम, और आतंकी फंडिंग के स्रोतों को रोकना शामिल था।
अक्टूबर 2022 : FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया, जब उसने सुधारों की रिपोर्ट पेश की और FATF ने कहा कि सभी कार्य पूरे हो चुके हैं।
भारत अब क्यों चाहता है पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में आए?
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam terrorist attack) में 26 नागरिक मारे गए। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की भूमिका है और पाकिस्तान सरकार ने FATF के उन वादों को नहीं निभाया है, जो उसने 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए किए थे।
भारत FATF की जून 2025 की मीटिंग में ये मुद्दा उठाएगा और पाकिस्तान (Pakistan) की गैर-कानूनी गतिविधियों का पूरा दस्तावेज पेश करेगा। भारत यह भी चाहता है कि वर्ल्ड बैंक द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही फंडिंग की समीक्षा की जाए।
अगर पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में आया तो क्या होगा?
FDI (विदेशी निवेश) में भारी गिरावट : ग्रे लिस्ट में होने से कंपनियों को पाकिस्तानी कंपनियों के साथ बिजनेस करने से पहले अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ेगी।
वर्ल्ड बैंक और IMF जैसी संस्थाओं से फंडिंग में रुकावट : भारत पहले ही IMF के बोर्ड में इस पर आपत्ति दर्ज करा चुका है।
पाकिस्तानी रुपया कमजोर, महंगाई में इजाफा : पाकिस्तान की आर्थिक हालत पहले ही खराब है। ग्रे लिस्ट में आने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव और बढ़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान : एक बार फिर पाकिस्तान आतंक के प्रायोजक देश की तरह चिह्नित हो जाएगा, जिससे डिप्लोमैटिक साख पर भी असर पड़ेगा।
भारत खुद FATF का सदस्य है और एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) का भी हिस्सा है। पाकिस्तान APG का सदस्य है, लेकिन FATF का नहीं। भारत को ग्रे लिस्ट प्रस्ताव पास कराने के लिए अन्य सदस्य देशों का समर्थन चाहिए होगा, जो उसे मिल सकता है, खासकर अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों से।
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