Mennonites : वे अमेरिकी जो आज भी बिजली, फोन से दूर हैं
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अमेरिका की मेनोनाइट्स कम्युनिटी (Mennonites) की अनकही कहानी। जानिए जैकब जैसे परिवारों की जिंदगी, जिनकी दुनिया तकनीक से नहीं, परंपरा, शांति और आध्यात्मिक संतुलन से चलती है। पढ़िए कैसे ये समुदाय आधुनिक अमेरिका में भी अपनी सादगी भरी जिंदगी को जीता है।
सुबह के छह बजे हैं। अमेरिका के पेंसिल्वेनिया के एक गांव की गलियों में ओस की नमी और मिट्टी की सोंधी गंध हवा में घुल रही है। दूर से एक बग्गी की आवाज आती है - लकड़ी के पहियों की चरमराहट और घोड़े के टापों की टक-टक। बग्गी पर बैठे हैं जैकब मिलर।
जीवन के चार दशक देख चुके जैकब के सिर पर टोपी, बदन पर सफेद शर्ट और आंखों में चमक है। उम्र लगभग 38 साल, सिर पर टोपी, सफेद शर्ट, और आंखों में शांति की चमक। वह अपने खेतों की ओर जा रहे हैं। साथ में है बाइबिल।
जैकब के पास न स्मार्टफोन है, न फेसबुक अकाउंट। बिजली के तार उनके घर से नहीं जुड़े हैं। लेकिन उनके बच्चों के चेहरों पर जो मुस्कान है, वह शायद किसी बड़े शहर के पेंटहाउस में रहने वाले बच्चे की मुस्कान से कहीं ज्यादा असली लगती है।
यह वक्त पिछली सदी का नहीं, आज का है - AI के दौर का। जैकब ऐसे इसलिए हैं, क्योंकि वह मेनोनाइट (Mennonites) हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कभी दुनिया की चमक-धमक की कमी महसूस होती है, तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा, 'हमने जो छोड़ दिया है, वो हमें कभी अपना नहीं लगा। लेकिन जो अपनाया है, वो हर सुबह हमें नया जीवन देता है।'
Mennonites कौन हैं और इनकी जड़ें कहां से आईं?
मेनोनाइट्स (Mennonites) का नाम 16वीं सदी के डच धार्मिक सुधारक Menno Simons के नाम पर पड़ा। ये लोग एनाबैप्टिस्ट आंदोलन से जुड़े हैं, जो ईसाई धर्म में बपतिस्मा (baptism) को वयस्क अवस्था में स्वीकार करने की वकालत करता था यानी व्यक्ति जब खुद समझ सके, तभी धर्म को अपनाए।
यूरोप में धार्मिक अत्याचारों से बचने के लिए ये लोग 17वीं-18वीं सदी में अमेरिका आए और खासकर पेनसिल्वेनिया, ओहायो, इंडियाना और कंसास जैसे राज्यों में बस गए।
कैसे रहते हैं Mennonites?
मेनोनाइट्स (Mennonites) का जीवन सादगी, शांति और समुदाय पर टिका होता है। ये लोग आमतौर पर साधारण कपड़े पहनते हैं, ज्यादातर खुद बनाए हुए। घोड़े की बग्गी का इस्तेमाल करते हैं।
Mennonites बिजली, टीवी, मोबाइल फोन से दूरी बनाकर रखते हैं। हालांकि समुदाय के कुछ ग्रुप ने सीमित स्तर पर तकनीक को अपना लिया है।
ये लोग खेती-बाड़ी और हस्तशिल्प से जीविका चलाते हैं। बच्चों को घर पर ही शिक्षा देने को प्राथमिकता देते हैं
इनकी एक शाखा 'ओल्ड ऑर्डर मेनोनाइट्स' आधुनिकता से सबसे अधिक दूरी बनाए रखती है, जबकि कुछ अन्य मेनोनाइट (Mennonites) समूह अपेक्षाकृत अधिक लचीले हैं और कंप्यूटर, कार या सोशल मीडिया का सीमित प्रयोग करते हैं।
Mennonites की परंपराएं और धार्मिक विश्वास
मेनोनाइट्स ईसाई हैं, लेकिन इनका ईसाई धर्म का पालन बाकी संप्रदायों से अलग है। ये शांतिवादी (Pacifist) होते हैं - युद्ध, हिंसा या हथियारों का विरोध करते हैं।
बप्तिस्मा वयस्क अवस्था में होता है, जब व्यक्ति स्वयं निर्णय ले सके। चर्च में भव्यता नहीं, बल्कि साधारणता और आत्मचिंतन होता है।
ये समुदाय और सेवा को सबसे बड़ा धार्मिक कर्तव्य मानते हैं। इनकी मान्यता है कि ईश्वर की सेवा, दूसरों की सेवा में है।
अमेरिकी समाज में भूमिका
अब सवाल उठता है कि इतनी सादगी से जीने वाला यह समुदाय क्या सिर्फ खुद में सीमित है, या अमेरिका के विकास में भी कोई भागीदारी निभा रहा है?
इसका जवाब है - हां, पर अपने ढंग से।
मेनोनाइट्स (Mennonites) ने अमेरिका के कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे जैविक खेती, टिकाऊ जीवनशैली और हस्तशिल्प के क्षेत्र में उदाहरण बने हैं।
ये मानव सेवा में भी बहुत आगे हैं - चाहे घरेलू आपदा हो या अंतरराष्ट्रीय राहत कार्य, मेनोनाइट स्वयंसेवी संस्थाएं (जैसे Mennonite Central Committee) हमेशा आगे रहती हैं।
हालांकि ये राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हैं, लेकिन सामाजिक मूल्यों में एक मजबूत नैतिक उपस्थिति रखते हैं।
मेनोनाइट्स मानते हैं कि ईश्वर की सच्ची सेवा भौतिक सुखों से दूरी में है। उनके लिए जीवन एक साधना है, जिसमें दुनिया की चमक-धमक नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता और समुदाय की सेवा जरूरी है। तकनीक, फैशन, या प्रतिस्पर्धा उन्हें ईश्वर से दूर ले जाती है - यह उनका नजरिया है।
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