Uttarakhand : तो क्या चारधाम से अधिक श्रद्धालु पहुंचे कैंची धाम?

 https://uplive24.com/uttarakhand-chaar-dham-vs-kaichi-dham-tourism-drop/

उत्तराखंड के चारधामों (Uttarakhand Char Dham) में यात्रियों की संख्या में 16% गिरावट दर्ज की गई, जबकि कैंची धाम में 300% की बढ़ोतरी हुई। जानें इसके पीछे के कारण, पंजीकरण नीति का असर और तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी।

डॉ. बृजेश सती

उत्तराखंड के चारधामों (Uttarakhand Char Dham) की तुलना में इस बार कैंची धाम में अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। पिछले दो वर्षों के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। 

यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ (Kedarnath, Badrinath) जैसे प्रमुख तीर्थों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और कैंची धाम में पहुंचे यात्रियों की तुलनात्मक समीक्षा एक नई सच्चाई को सामने लाती है। आंकड़े बताते हैं कि कैंची धाम (Kaichi Dham) में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या चारों धामों में से किसी भी एक धाम से अधिक रही।

चारधाम (Uttrakhand Char Dham) में यात्रियों की कमी से स्थानीय तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज, होटल व्यवसायी और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़े लोगों में नाराजगी है। वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इसके अतिरिक्त, चारधाम यात्रा में किए गए कुछ प्रशासनिक प्रयोगों को भी यात्रियों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण माना जा रहा है। 

यात्रा से जुड़े हितधारक इसके लिए Uttrakhand सरकार को जवाबदेह मानते हैं। देश के किसी अन्य तीर्थ या धाम में न तो यात्रियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और न ही संख्या निर्धारण की बाध्यता है, किंतु उत्तराखंड के चारधामों के संदर्भ में ये अपवाद बन चुके हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि कैंची धाम में यात्रियों की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा मिला प्रचार है।

गौरतलब है कि वर्ष 2023 और 2024 में चारधाम यात्रा (Uttarakhand Char Dham) में क्रमशः 54 लाख और 46 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं कैंची धाम में इसी अवधि में क्रमशः 8 लाख और 24 लाख यात्री पहुंचे। यदि इन आंकड़ों का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाए तो तस्वीर और भी स्पष्ट हो जाती है।

जहां 2024 में चारधाम यात्रा में लगभग 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं कैंची धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।

कैंची धाम में तीन सौ प्रतिशत का उछाल

चारधामों में वर्ष 2023 में 54 लाख 42 हजार यात्री पहुंचे थे, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 46 लाख 20 हजार रह गई। यानी 8 लाख 21 हजार कम यात्री आए, जो कुल मिलाकर 16 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। दूसरी ओर, कैंची धाम में एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच 24 लाख श्रद्धालु पहुंचे, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या महज 8 लाख थी। यानी इस दौरान तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

Uttrakhand चारधाम यात्रा मात्र छह महीने संचालित होती है, जबकि कैंची धाम वर्षभर खुला रहता है। ऐसे में प्रतिदिन के औसत के आधार पर भी कैंची धाम में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही।

चारधामों में प्रतिदिन औसतन 6416 यात्री दर्शन के लिए पहुंचे, जबकि कैंची धाम में यह संख्या 6666 रही। इसी तरह महीनेवार आंकड़ों में भी कैंची धाम आगे रहा, जहां प्रतिमाह औसतन 2 लाख यात्री पहुंचे, जबकि चारधामों में यह औसत 7 लाख 70 हजार चारों धाम मिलाकर था।

चारधामों में यात्रियों की संख्या के हिसाब से सबसे अधिक दर्शनार्थी केदारनाथ धाम में पहुंचे, इसके बाद बदरीनाथ, फिर गंगोत्री और सबसे कम संख्या में यमुनोत्री में श्रद्धालु आए। औसतन प्रतिदिन केदारनाथ में 9177, बदरीनाथ में 7974, गंगोत्री में 4545 और यमुनोत्री में 3970 यात्री दर्शन के लिए पहुंचे।

चारधाम यात्रा में एक ही यात्री को गिना जाता है चार बार

चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की वास्तविक संख्या और सरकारी आंकड़ों में अंतर है। दरअसल, एक ही यात्री को चार बार गिना जाता है – एक-एक बार हर धाम में। इससे आंकड़े अपेक्षाकृत अधिक दिखते हैं। केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) में सबसे अधिक यात्री पहुंचते हैं, और यहीं से कुल यात्रियों का अनुमान सही ढंग से लगाया जा सकता है।

आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40 से 45 प्रतिशत श्रद्धालु चारधाम यात्रा पूरी करते हैं। कुछ यात्री केवल दो या किसी एक धाम की ही यात्रा करते हैं। पिछले वर्ष 15 प्रतिशत यात्री यमुनोत्री, 17 प्रतिशत गंगोत्री, 32 प्रतिशत बदरीनाथ और 37 प्रतिशत केदारनाथ पहुंचे।

क्या है चारधाम में यात्रियों की कमी का कारण

चारधामों में श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट के पीछे एक कारण कैंची धाम की ओर यात्रियों का डायवर्जन भी माना जा रहा है। इसके साथ ही सरकार द्वारा यात्रा में किए गए कुछ प्रयोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।

- ऑनलाइन पंजीकरण की अनिवार्यता के कारण कई यात्री रजिस्ट्रेशन न करा सके।

- ऑफलाइन पंजीकरण की जानकारी की कमी, जिसके चलते देशभर के यात्री विकल्पों से अनजान रहे।

- ऑफलाइन पंजीकरण की सीमित संख्या, जिससे अतिरिक्त यात्रियों के लिए स्थान नहीं मिल सका।

- जून माह तक ऑनलाइन स्लॉट भर चुके थे, लेकिन उनमें से लगभग 30% यात्री आए ही नहीं।

- यात्रियों की संख्या का पूर्व निर्धारण, जिससे उत्साही यात्री हतोत्साहित हुए।

- मार्गों की बंदी और ट्रैफिक जाम, जिसके चलते यात्रा की छवि धूमिल हुई।

तीर्थ पुरोहितों और हितधारकों की नाराजगी

Uttrakhand चारधाम यात्रा में गिरावट को लेकर स्थानीय हितधारक खासे नाराज हैं। वह इसके लिए सीधे तौर पर सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल बताते हैं कि यात्रियों की संख्या और पंजीकरण से संबंधित विषयों पर कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं मानी।

सेमवाल कहते हैं कि पंजीकरण और श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने से यात्रियों की आमद पर सीधा असर पड़ा है। चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता और यमुनोत्री घाटी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष सोवन सिंह राणा भी इस मुद्दे पर सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं कि देश के किसी भी तीर्थ में न तो पंजीकरण की अनिवार्यता है, न ही संख्या का निर्धारण। फिर चारधाम को ही इन नियमों की परिधि में क्यों रखा गया?

उनका कहना है कि यात्रा मार्गों पर स्थित होटल व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पूरे सीजन में होटल अधिकांशतः खाली रहे, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी भी कैंची धाम में यात्रियों की बढ़ती संख्या को चारधाम यात्रियों की कमी का प्रमुख कारण मानते हैं। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु अब कैंची धाम की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे पारंपरिक यात्रा प्रभावित हो रही है।

वहीं ट्रांसपोर्ट व्यवसायी विकास शर्मा कांवड़ यात्रा, कुंभ मेला और अन्य तीर्थ स्थलों का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि इन स्थानों पर न पंजीकरण होता है और न ही संख्या निर्धारण। फिर चारधाम यात्रा के लिए ही ऐसे नियम क्यों बनाए गए हैं?

कैंची धाम की लोकप्रियता के पीछे क्या है कारण?

नैनीताल (Nainital) के वरिष्ठ पत्रकार और कैंची धाम परिसर में बचपन बिताने वाले प्रयाग पांडे इस मत से सहमत नहीं हैं कि यात्रियों के डायवर्जन से चारधाम यात्रा प्रभावित हुई है। वे मानते हैं कि कैंची धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण सोशल मीडिया, प्रचार माध्यम और सेलिब्रिटी प्रभाव है। वे बताते हैं कि मार्क ज़ुकरबर्ग, विराट कोहली और अन्य चर्चित हस्तियों के कैंची धाम आने से लोगों का रुझान इस ओर बढ़ा है।

पंजीकरण की अनिवार्यता पर शासन का पक्ष

5 फरवरी को ऋषिकेश में गढ़वाल मंडलायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित यात्रा समीक्षा बैठक में तीर्थ पुरोहितों, होटल एसोसिएशन और ट्रांसपोर्ट यूनियन ने पंजीकरण और संख्या निर्धारण की अनिवार्यता पर सवाल उठाए।

बैठक में गढ़वाल मंडलायुक्त एवं मुख्यमंत्री सचिव विनय शंकर पांडे ने बताया कि वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार चारधाम यात्रा में पंजीकरण व्यवस्था को लागू किया गया था। यही इसके पीछे की कानूनी और प्रशासनिक मजबूरी है।

Comments

Popular posts from this blog

Act of War : जब ये शब्द बन जाते हैं युद्ध का ऐलान

Constitution : पाकिस्तान का संविधान बनाने वाला बाद में कैसे पछताया

Pahalgam attack : भारत की स्ट्राइक से डरे पाकिस्तान ने दी सफाई