Bajau : समुद्र में रहने वाले इंसानों की अनोखी दुनिया

 https://uplive24.com/bajau-sea-nomads-indonesia-history-lifestyle/

इंडोनेशिया के बजाऊ (Bajau) लोग समुद्र में जीवन बिताने वाली एक अनोखी जनजाति हैं। जानिए कैसे ये लोग पानी के भीतर 13 मिनट तक सांस रोक सकते हैं, कैसे वे नावों में अपना पूरा जीवन जीते हैं, और क्यों इन्हें Sea Gypsies कहा जाता है।

कल्पना कीजिए - आपका घर पानी पर है, जमीन कहीं नहीं, और आसमान की छांव में आपकी जिंदगी नाव में बीतती है। सुबह की पहली किरण समुद्र के चेहरे पर पड़ती है, और आप गोता लगाते हैं - खाली हाथ, सिर्फ एक सांस लेकर। यही है इंडोनेशिया के Bajau लोगों की दुनिया।

इन्हें Sea Nomads या Sea Gypsies भी कहा जाता है। ये लोग सैकड़ों वर्षों से जमीन को छोड़कर पानी में रहते आए हैं। न सिर्फ रहते हैं, बल्कि पानी में सांस लेते हैं, खाते हैं, शिकार करते हैं और जीते हैं। अगर इंसानी सभ्यता की कोई जल-कथा लिखी जाए, तो बजाऊ लोगों का जिक्र उसमें सुनहरे अक्षरों में होगा।

Bajau कौन हैं?

बजाऊ इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस के समुद्री इलाकों में रहने वाली एक आदिवासी जनजाति है, जिनका पारंपरिक जीवन पूरी तरह से समुद्र से जुड़ा हुआ है। इन्होंने सदियों पहले ही तय कर लिया था कि जमीन का बंधन उन्हें नहीं भाता। वे समुद्र के बेटे हैं।

मुख्यतः इंडोनेशिया के सुलावेसी, बोरनेओ और स्पेराटली द्वीपों के आसपास बजाऊ (Bajau) समुदाय पाया जाता है। ये नावों में ही जन्म लेते हैं, वहीं बड़े होते हैं, और कई तो कभी जमीन पर पैर भी नहीं रखते।

क्या आप 13 मिनट तक सांस रोक सकते हैं?

एक आम इंसान पानी के नीचे मुश्किल से 1-2 मिनट ही रह सकता है। पर बजाऊ (Bajau) लोगों के लिए 13 मिनट तक बिना सांस लिए 200 फीट की गहराई में गोता लगाना रोजमर्रा की बात है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इनके प्लीहा (spleen) का आकार आम इंसानों से 50% ज़्यादा होता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन ज्यादा देर तक बनी रहती है।

यह कोई जादू नहीं, पीढ़ियों का अभ्यास और जीवनशैली का असर है। विज्ञान भी अब इस रहस्य को समझने की कोशिश कर रहा है कि कैसे बजाऊ (Bajau) लोग जलमानव बन गए।

बजाऊ (Bajau) जीवन - नाव में घर, समुद्र में रसोई

इनका घर कोई पक्की इमारत नहीं, बल्कि एक लकड़ी की नाव होती है जिसे वे खुद बनाते हैं। कई बजाऊ (Bajau) लोग अब स्थायी तैरते घर (stilt houses) में भी रहने लगे हैं, पर पारंपरिक परिवार आज भी नावों में जीवन बिताते हैं।

खाना? समुद्र ही इनका बाजार है। मछली, सीप, समुद्री खीरे (sea cucumbers) और कभी-कभी ऑक्टोपस - जो भी समुद्र देता है, वही पकता है।

चूल्हा? वह भी नाव पर ही बना होता है, छोटी-सी आग जिसमें लकड़ी जलती है, और लहरों के संगीत के साथ दाल-चावल नहीं, बल्कि झींगे उबलते हैं।

Bajau संस्कृति - समुद्र के भीतर की भाषा

बजाऊ (Bajau) लोग सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि संस्कृति, गीत, और विश्वास में भी समुद्र से जुड़े हैं। इनके लोकगीतों में लहरों की धुन होती है।

उनके देवता भी समुद्री हैं - लहरों को पूजते हैं, तूफानों से डरते हैं, और शांति की दुआ पानी से मांगते हैं।

इनका विवाह भी कभी-कभी समुद्र में ही होता है। शादी के बाद नवविवाहित जोड़ा कई हफ्तों तक जमीन पर नहीं जाता। मानो समुद्र ही उनका पहला ससुराल हो।

क्या बजाऊ लोग Stateless हैं?

बहुत से बजाऊ (Bajau) लोग आधिकारिक तौर पर किसी देश के नागरिक नहीं माने जाते। वे इंडोनेशिया, मलेशिया या फिलीपींस के बीच समुद्री सीमा पर रहते हैं, लेकिन अक्सर उनके पास कोई पासपोर्ट, पहचान पत्र या नागरिकता नहीं होती।

इस कारण वे कई सरकारी सुविधाओं से वंचित रहते हैं - स्कूल, अस्पताल या नौकरी जैसे बुनियादी अधिकार भी उन्हें आसानी से नहीं मिलते। पर उनका कहना है, 'हमें जमीन की जरूरत नहीं, जब तक हमारे पास लहरें हैं।'

बदलती दुनिया में बजाऊ (Bajau) लोग

21वीं सदी में जब हर कोई तकनीक की लहर पर सवार है, बजाऊ लोग उस लहर से दूर हैं, पर अब खतरे बढ़ रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से समुद्र की गहराइयों में बदलाव हो रहा है। आधुनिक मछली पकड़ने की मशीनें उनके पारंपरिक तरीकों को बेकार कर रही हैं।

और समुद्रों में बढ़ते प्रदूषण ने उनकी जीवनरेखा को खतरे में डाल दिया है।

सरकारें अब बजाऊ (Bajau) लोगों को बसाने की कोशिश कर रही हैं। उन्हें जमीन पर लाने की मुहिम चल रही है, पर सवाल यह है कि क्या एक जलमानव जमीन पर टिक पाएगा?

Comments

Popular posts from this blog

Act of War : जब ये शब्द बन जाते हैं युद्ध का ऐलान

Constitution : पाकिस्तान का संविधान बनाने वाला बाद में कैसे पछताया

Pahalgam attack : भारत की स्ट्राइक से डरे पाकिस्तान ने दी सफाई