Selfitis : कहीं आपको selfie वाली बीमारी तो नहीं?
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क्या आपको भी हर वक्त सेल्फी लेने की लत लग गई है? जानिए Selfitis क्या है, इसके लक्षण, कारण और इलाज। एक इंटरैक्टिव लेख जो बताएगा कि सेल्फी की ये आदत मनोरंजन है या मानसिक समस्या।
सोचिए, अगर आप किसी कैफे में हैं, कॉफी सामने रखी है, दोस्त बगल में हैं - और आप सबसे पहले अपना फोन उठाकर कैमरा ऑन करते हैं। एक एंगल से नहीं जमी तो दूसरा, फिर तीसरा... और फिर जरा-सा एडिट करके पोस्ट भी कर दिया। अगर ऐसा हर दिन हो रहा है, तो हो सकता है कि आपको Selfitis हो गया हो। जी हां, वही 'सेल्फी की बीमारी' जिसकी अब साइकोलॉजी में बाकायदा चर्चा हो रही है।
Selfitis क्या है?
Selfitis एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को बार-बार अपनी तस्वीरें खींचने और उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करने की जुनूनी लत (obsessive-compulsive behavior) लग जाती है। यह सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक आदत बन जाती है, जिसे रोका नहीं जाता। और धीरे-धीरे यह आत्म-सम्मान, ध्यान और मानसिक शांति को भी प्रभावित करने लगती है।
यह शब्द कहां से आया?
2014 में Selfitis शब्द पहली बार एक मजाक के तौर पर सामने आया। एक नकली रिपोर्ट में कहा गया कि, 'American Psychiatric Association' ने इसे एक असली बीमारी घोषित किया है। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस विषय पर गंभीरता से रिसर्च करना शुरू कर दिया। 2017 में नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी (Nottingham Trent University) और भारत के कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि Selfitis जैसी आदत सच में लोगों में पाई जा रही है।
रिसर्च के मुताबिक, Selfitis के तीन स्तर हो सकते हैं :
Borderline Selfitis - दिन में 3 बार सेल्फी लेना, लेकिन उन्हें पोस्ट न करना।
Acute Selfitis - दिन में 3 बार सेल्फी लेना और हर बार सोशल मीडिया पर अपलोड करना।
Chronic Selfitis – दिन में कई बार सेल्फी लेना, बार-बार पोस्ट करना और पूरी दिनचर्या इसी के इर्द-गिर्द घूमना।
अगर आप में इनमें से कुछ लक्षण हैं, तो जरा रुकिए :
- बिना वजह बार-बार कैमरा ऑन करना।
- हर छोटी बात पर 'परफेक्ट सेल्फी' की जरूरत महसूस होना।
- हर पोस्ट पर मिलने वाले लाइक्स और कमेंट्स से मूड का बनना-बिगड़ना।
- अकेलेपन या तनाव में सेल्फी खींचकर राहत पाने की आदत।
- सोशल मीडिया पर खुद की तुलना दूसरों से करना।
क्या Selfitis खतरनाक है?
देखने में मासूम लगने वाली यह आदत धीरे-धीरे आपको attention-seeking behavior, low self-esteem और digital anxiety की ओर धकेल सकती है। कई बार लोग खुद को सिर्फ उस फिल्टर की नज़र से देखने लगते हैं, जो स्क्रीन पर अच्छा दिखता है लेकिन असल जिंदगी से दूर होता है।
क्या है समाधान?
Selfitis का कोई दवा से इलाज नहीं है, लेकिन इसे आदतों और सोच में बदलाव के जरिए ठीक किया जा सकता है:
- Digital Detox अपनाएं, हफ्ते में एक दिन मोबाइल या सोशल मीडिया से दूरी बनाएं।
- Self-awareness बढ़ाएं। जब भी सेल्फी लेने का मन हो, खुद से पूछिए कि क्या वाकई जरूरत है?
- दोस्तों से जुड़िए असली दुनिया में, सिर्फ डिजिटल दुनिया में नहीं।
- किताबें पढ़ें, नए शौक खोजें जो स्क्रीन से दूर हों।
- जरूरत हो तो काउंसलर या साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें।
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