Atlantropa : क्या थी यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने के लिए सागर सुखाने की योजना?

https://uplive24.com/atlantropa-plan-to-dry-up-mediterranean-sea/ 

कल्पना कीजिए कि भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) को एक विशाल बांध से रोका जाए और यूरोप तथा अफ्रीका को एक ही महाद्वीप के रूप में जोड़ दिया जाए। यह कोई विज्ञान-कथा नहीं, बल्कि 20वीं सदी की एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना थी Atlantropa Project। यह विचार जितना बड़ा था, उतना ही विवादास्पद और जटिल भी।

Atlantropa Project था क्या?

Atlantropa का मूल विचार था कि जिब्राल्टर जलडमरूमध्य (Strait of Gibraltar) पर एक विशाल हाइड्रोपावर बांध बनाया जाए। इसके जरिए भूमध्य सागर के जलस्तर को धीरे-धीरे 200 मीटर तक कम किया जाता।

इससे नई जमीनें सामने आतीं, जो खेती और बस्तियों के लिए इस्तेमाल हो सकती थीं। यूरोप और अफ्रीका के बीच जमीनी पुल बनता जिससे दोनों महाद्वीप एक हो जाते।

इसके अलावा, Atlantropa के तहत कांगो नदी को मोड़कर सहारा के रेगिस्तान में ले जाने की योजना थी, जिससे वहां हरियाली लाई जा सके। अफ्रीका में विशाल जलविद्युत (Hydropower) स्टेशन बनाए जाने थे।

एक अकल्पनीय सोच

Atlantropa Project बीसवीं सदी की सबसे विचित्र लेकिन महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक था। इसे एक जर्मन वास्तुकार और विचारक हर्मन सॉर्गेल (Herman Sorgel) ने प्रस्तावित किया था। सोचिए कि जब आज यह योजना सुनने में अकल्पनीय लगती है, तो करीब एक सदी पहले इसका क्या असर हुआ होगा। Atlantropa को तकनीक, भूगोल, राजनीति और ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी सोच माना गया था।

सॉर्गेल का मानना था कि यूरोप प्रथम विश्व युद्ध के बाद गंभीर संकटों से जूझ रहा था। आर्थिक अस्थिरता, ऊर्जा की कमी और बेरोजगारी - इन समस्याओं का समाधान पारंपरिक राजनीतिक ढंग से नहीं बल्कि भू-इंजीनियरिंग के माध्यम से किया जा सकता है। 

उनका मानना था कि यदि यूरोप और अफ्रीका को एक सुपरकॉन्टिनेंट (European-African supercontinent) के रूप में जोड़ा जाए, तो पूरी दुनिया में शक्ति संतुलन बेहतर हो सकेगा और युद्धों की संभावना कम होगी। उनका आदर्श यह था कि दुनिया को अमेरिका और एशिया की शक्ति से संतुलन देने के लिए एक नया भू-राजनीतिक महाब्लॉक तैयार किया जाए।

अगर यह परियोजना सफल होती, तो भूमध्यसागर के कई इलाकों में नई जमीनें उभरतीं, जिससे जनसंख्या का बोझ घटता। साथ ही लाखों लोगों को ऊर्जा और रोजगार मिलता। लेकिन इस योजना की भारी कीमत भी होती। समुद्री जीवन पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ता, ऐतिहासिक तटीय शहर जैसे वेनिस, इस्तांबुल, अलेक्सांद्रिया और एथेंस के बंदरगाह सूख जाते। 

Atlantropa Project की वजह से जलवायु परिवर्तन और समुद्री धाराओं में बदलाव पूरी दुनिया के पर्यावरण पर असर डालते। इसके अलावा अफ्रीकी देशों को इस योजना में सहयोगी नहीं बल्कि केवल संसाधन मान लिया गया था। उनसे सलाह-मशवरा नहीं लिया गया था। इससे आरोप लगे कि Atlantropa Project उपनिवेशवाद का नया रूप है।

बस सपना ही रह गया

Atlantropa को कभी अमल में नहीं लाया गया, इसके कई कारण थे। पहला, तकनीकी रूप से यह अपने समय से कहीं आगे की योजना थी। इतनी बड़ी हाइड्रोइंजीनियरिंग उस युग में संभव नहीं थी। 

दूसरा, राजनीतिक रूप से भी यूरोप के देश इस विचार को लेकर एकमत नहीं थे और अफ्रीका को तो परामर्श में शामिल ही नहीं किया गया था। तीसरा, जैसे ही द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, यह विचार पूरी तरह दब गया और युद्धोत्तर काल में दुनिया के भू-राजनीतिक एजेंडे बदल चुके थे। 

साथ ही 20वीं सदी के उत्तरार्ध में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी और यह महसूस किया गया कि इतनी बड़ी परियोजना पर्यावरण और समाज, दोनों के लिए विनाशकारी हो सकती है।

Comments

Popular posts from this blog

Act of War : जब ये शब्द बन जाते हैं युद्ध का ऐलान

Constitution : पाकिस्तान का संविधान बनाने वाला बाद में कैसे पछताया

Pahalgam attack : भारत की स्ट्राइक से डरे पाकिस्तान ने दी सफाई