Lake Nyos : जब झील से निकले बादलों ने 1,700 को मौत की नींद सुला दिया

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कैमरून की Lake Nyos में 1986 में हुआ खौफनाक हादसा, जब झील से निकले CO₂ गैस के बादल ने 1,700 लोगों की जान ले ली। uplive24.com पर जानिए कैसे हुआ यह हादसा और ऐसी अन्य घटनाएं कौन-सी हैं।

Lake Nyos (लेक न्योस)  अफ्रीकी देश कैमरून की एक शांत झील, जो अचानक 1986 में दुनिया की सबसे रहस्यमयी और खौफनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक का केंद्र बन गई। एक ऐसा हादसा, जिसमें कोई भूकंप नहीं आया, कोई ज्वालामुखी नहीं फटा, कोई सुनामी नहीं आई - फिर भी एक रात में 1,700 से अधिक लोग और 3,500 से ज्यादा पशु मारे गए।

क्या हुआ था उस रात? कैसे एक शांत झील इंसानों और जानवरों के लिए कब्रगाह बन गई? और क्या ऐसे हादसे और भी हुए हैं? 

क्या है Lake Nyos?

Lake Nyos मध्य अफ्रीका के कैमरून देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित एक ज्वालामुखीय झील है। यह झील एक क्रेटर लेक (Crater Lake) है, यानी यह एक सुप्त ज्वालामुखी के गड्ढे में बनी है। 

इसकी गहराई 200 मीटर से अधिक है और यह देखने में सामान्य झीलों जैसी ही शांत प्रतीत होती है। लेकिन इसके नीचे लावा और मैग्मा की परतें सक्रिय हैं, जो इस झील को भीतर से खतरनाक बना देती हैं।

21 अगस्त 1986 की रात क्या हुआ?

21 अगस्त 1986 की रात को Lake Nyos के पानी से अचानक एक विशाल कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का बादल उठा और चारों ओर फैल गया। यह CO₂ गैस इतनी भारी और सघन थी कि जमीन पर रेंगती हुई झील के पास के गांवों में घुस गई और वहां मौजूद हर जीव को सांस लेने से रोक दिया।

जब लोगों को होश आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आसपास के Nyos, Kam, Cha, और Subum गांवों के 1,700 से ज्यादा लोग और हजारों मवेशी मृत पाए गए। 

यह घटना limnic eruption या lake overturn कहलाती है - एक दुर्लभ प्राकृतिक घटना, जिसमें झील की गहराई में जमा CO₂ अचानक सतह पर आ जाती है।

Lake Nyos के नीचे के ज्वालामुखीय पत्थरों से हर साल धीरे-धीरे CO₂ गैस रिसती रहती थी। यह गैस पानी में घुलती रही और समय के साथ-साथ झील के तल पर उच्च दबाव में जमा हो गई।

किसी एक क्षण में, शायद जमीन खिसकने या हल्के भूकंप के कारण Lake Nyos की गहराई में संतुलन टूट गया और दबाव के कारण एक झटके में CO₂ गैस सतह पर आ गई। यह एकदम वैसे हुआ जैसे सोडा की बोतल को हिलाकर अचानक खोल दिया जाए। एक जोरदार विस्फोट से गैस निकली और भारी CO₂ का बादल पूरे क्षेत्र में फैल गया।

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CO₂ हवा से भारी होती है, इसलिए यह ऊपर नहीं जाती बल्कि जमीन पर रेंगती है। जब यह बादल गांवों में फैला, तो लोगों को कुछ भी समझने का मौका नहीं मिला। सांस घुटने से सबकी मौत हो गई।

मृत लोगों के शरीर पर कोई चोट या खून का निशान नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे वे शांति से सोते हुए मर गए हों। जो कुछ लोग ऊंचे स्थानों पर या हवा की दिशा से दूर थे, बच गए। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पहले उन्होंने गंध महसूस की, फिर बेहोशी और फिर कुछ भी याद नहीं रहा।


क्या ऐसा पहले भी हुआ है?

Lake Nyos से पहले 1984 में भी कैमरून की ही Lake Monoun में limnic eruption हुआ था। उस घटना में 37 लोग मारे गए थे। लेकिन उस समय वैज्ञानिकों को इसकी गहराई से जानकारी नहीं थी।

Lake Monoun की घटना को छोटी और स्थानीय मानकर अनदेखा कर दिया गया, लेकिन 1986 की Lake Nyos Tragedy ने दुनिया को चौंका दिया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने दुनिया भर की गहरी झीलों का अध्ययन शुरू किया।

क्या है यह रहस्यमयी आपदा?

Limnic Eruption एक प्राकृतिक गैस विस्फोट है, जो खासतौर पर ज्वालामुखीय क्षेत्रों की गहरी झीलों में होता है। जब झील के नीचे गैस (अधिकतर CO₂) लंबे समय तक इकट्ठा होती है और किसी एक झटके में सतह पर आ जाती है, तो यह गैस का जहरीला बादल बना देती है। 

Lake Nyos हादसे के बाद वैज्ञानिकों ने झील में डिगैसिंग पाइप्स (Degassing Pipes) लगाई हैं। इन पाइप्स की मदद से झील की गहराई से धीरे-धीरे CO₂ को बाहर निकाला जाता है ताकि वह एक बार में इकट्ठा होकर विस्फोट न कर सके।

कैमरून सरकार और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठनों ने उस क्षेत्र के गांवों को खाली करवा दिया और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाया है।

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