Jatan Nagar Palace : 100 कमरों का यह भव्य महल आज क्यों माना जाता है भुतहा?

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Jatan Nagar Palace आज भी देखने में जितना भव्य है, उतनी ही कहानियां हैं उसके बारे में। इसे भारत के सबसे भुतहा महलों में गिना जाता है। uplive24.com पर जानिए, क्या है इसके पीछे की वजह।

ओडिशा (Odisha) के धेनकनाल (Dhenkanal) जिले में स्थित जतन नगर पैलेस (Jatan Nagar Palace), शाही विरासत, वास्तुकला की भव्यता और डरावनी दास्तानों का अद्भुत मेल है। 

यह महल 20वीं सदी की शुरुआत में पत्तायत नरसिंह प्रताप सिंहदेव (Pattayat Nrusingha Pratap Singhdeo) द्वारा बनवाया गया था और यह धेनकनाल शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर, 200 फीट ऊंची पहाड़ी पर बसा है। 100 कमरों वाला यह विशाल महल उस दौर की वास्तुकला, कला और रियासत की शान को बखूबी दर्शाता है।

निर्माण की कहानी और विवाद

जतन नगर पैलेस (Jatan Nagar Palace) का निर्माण इतिहास जितना रोचक है, उतना ही विवादित भी। कहा जाता है कि इस महल के निर्माण में लोगों से जबरन मजदूरी कराई गई। भारी पत्थरों को ढोने के लिए हाथियों का उपयोग किया गया और मजदूरों को अमानवीय यातनाएं दी गईं। विशेष यातना कक्ष बनाए गए, जहां श्रमिकों को प्रताड़ित किया जाता था।

इतिहासकारों का मानना है कि महल (Jatan Nagar Palace) के निर्माण के दौरान कई मजदूरों की मौत हो गई और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, उनकी आत्माएं आज भी महल की दीवारों में बसी हुई हैं। यही कारण है कि इसे भारत के सबसे भुतहा महलों (Haunted Palaces of India) में गिना जाता है।

धेनकनाल रियासत का गौरवशाली अतीत

धेनकनाल रियासत (Dhenkanal State) का इतिहास 1530 ईस्वी से शुरू होता है, जब यह एक आदिवासी राज्य था। गजपति महाराज प्रतापरुद्र देव (Gajapati Maharaja Prataparudra Deva) के सेनापति हरिसिंह विद्याधर (Harisingh Vidyadhara) ने यहां आक्रमण कर इसे गजपति साम्राज्य में मिला लिया।

इसके बाद भोई वंश (Bhoi Dynasty) के शासकों ने यहां 418 वर्षों तक राज किया। 18वीं सदी में मराठों के हमले (Maratha-Dhenkanal War of 1781) के बावजूद यह राज्य अडिग रहा। राजा भगिरथी प्रताप सिंहदेव (Raja Bhagirathi Pratap Singhdeo) अपने न्यायप्रिय और कुशल शासन के लिए प्रसिद्ध थे।

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20वीं सदी में राजनीतिक उथल-पुथल

1926 में राजा सुर प्रताप सिंह देव के बड़े बेटे शंकर प्रताप सिंह देव इंग्लैंड कानून की पढ़ाई (Bar-at-Law) करने गए। उनके छोटे भाई नरसिंह प्रताप सिंह देव ने शासन संभाला और इसी दौरान जतन नगर पैलेस का निर्माण करवाया।

निर्माण में हुई मजदूरों की यातना ने जनता में असंतोष भर दिया। राजा के लेखापाल द्वारा जबरन धन वसूली ने स्थिति और बिगाड़ दी।

प्रजा मंडल आंदोलन और बाजी राउत की शहादत

जनता के विरोध को संगठित करने का श्रेय हरमोहन पटनायक (Harmohan Patnaik) को जाता है, जिन्होंने भारत का पहला प्रजा मंडल (First Praja Mandal of India) स्थापित किया। इस संगठन ने जनता के अधिकारों की मांग की और शाही अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई।

सबसे भावुक अध्याय बाजी राउत (Baji Rout) की कहानी है। वह एक साहसी किशोर नाविक था। उसने पुलिस को नाव पार कराने से मना कर दिया। पुलिस ने उस पर और पांच अन्य ग्रामीणों पर गोली चला दी। यह घटना पूरे राज्य में क्रांति की चिंगारी बन गई।

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स्वतंत्रता और रियासत का विलय

1947 में भारत की आजादी के बाद, राजा शंकर प्रताप सिंह देव ने हरमोहन पटनायक को अपना सलाहकार नियुक्त किया। जल्द ही रियासत का भारत में विलय हुआ और राजा शंकर प्रताप राजनीति में सक्रिय हुए। रानी रत्न प्रभा देवी और उनके बेटे ब्रिगेडियर कमाख्या प्रसाद सिंह देव ने भी राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आज का जतन नगर पैलेस (Jatan Nagar Palace)

आज Jatan Nagar Palace खंडहर में तब्दील हो चुका है। ओडिशा पर्यटन (Odisha Tourism) के तहत इसकी देखरेख होती है। महल अब भी रहस्य, रोमांच और इतिहास के चाहने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

Jatan Nagar Palace कैसे जाएं

भुवनेश्वर से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 75 किमी का रास्ता है। देश के बड़े एयरपोर्ट से भुवनेश्वर के लिए सीधी फ्लाइट है। रेल से भी पहुंच सकते हैं। घूमने का सही समय अक्टूबर से फरवरी के बीच है।

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