KL Rahul : हम सबके जीवन में एक राहुल है...

 क्रिकेट नहीं, भारत बनाम पाकिस्तान अब सिर्फ पैसों की जरूरत

एक महापुरुष से किसी ने पूछा था, 'इस इमारत का सबसे खूबसूरत कोना कौन-सा है?' उन्होंने अपनी अंगुली जमीन की ओर दिखाते हुए कहा, 'तुम देख नहीं पाओगे।' उस शख्स ने पूछा, 'देख नहीं पाऊंगा? फिर वह कोना सबसे खूबसूरत कैसे हुआ?' जवाब आया, 'क्योंकि उसी की वजह से यह इमारत इतनी खूबसूरत है।' उस महापुरुष ने नींव के पत्थर को चुना था।

केएल राहुल (KL Rahul) का नाम लेते हुए बार-बार वही नींव का पत्थर याद आता है। एक ऐसा खिलाड़ी, जिसने जरूरत पड़ने पर हर बार टीम के लिए सबसे अहम योगदान दिया, लेकिन हर बार बैलेंस बनाने के नाम पर उसे टीम से बाहर कर दिया गया।

एशिया कप (Asia Cup) ताजा उदाहरण है। चयनकर्ताओं ने बहुत माथापच्ची के बाद टीम चुनी है। इतने दिनों से चर्चा आम थी कि शुभमन गिल को टी-20 टीम में लेना चाहिए। इसके पीछे दो दलीलें थीं। पहली दलील कि शुभमन जरबदस्त फॉर्म में हैं। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने सबसे ज्यादा रन बनाए।  IPL 2025 में भी गिल का बल्ला बोला और उन्होंने 15 मैचों में 155 की ज्यादा स्ट्राइक रेट और 50 के ओसत से 650 रन बना दिए। 

दूसरी वजह गिनाई जा रही है, नेतृत्व को लेकर क्लैरिटी। टीम इंडिया (Team India) में अलग-अलग कप्तान होने की परंपरा नहीं रही। कभी ऐसा होता भी है, तो बहुत लंबे वक्त तक नहीं चलता। महेंद्र सिंह धोनी जैसे सफल कप्तान ने जब टेस्ट से संन्यास लिया, तो टी-20 और वनडे में भी बहुत वक्त तक कप्तानी नहीं की। वह विराट कोहली (Virat Kohli) की कप्तानी में खेले।

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जब विराट ने टेस्ट की कप्तानी छोड़ी, तो बाकी दोनों फॉर्मेट से भी जल्द ही हाथ खींच लिए और रोहित शर्मा को कप्तान बनाया गया। अब रोहित और विराट, दोनों ही टेस्ट और टी-20 से संन्यास ले चुके हैं। टी-20 में सूर्यकुमार यादव कप्तान हैं, वनडे में रोहित और टेस्ट में गिल। कहा जा रहा है कि भविष्य में सारी जिम्मेदारी गिल पर आनी है, इसलिए उन्हें टी-20 में सूर्य का डिप्टी बनाकर अभी से तैयार किया जाए।

बात तो सही लगती है, लेकिन फिर सवाल आता है कि इस पूरी प्रक्रिया में राहुल (KL Rahul) की क्या गलती है?

ओपनिंग से लेकर मिडिल ऑर्डर तक, राहुल ने टीम की जरूरत के हिसाब से हर नंबर पर बैटिंग की है। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में गिल के बाद उन्होंने ही टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यादा 532 रन बनाए थे। 

अगर आईपीएल ही पैमाना है, तो वहां भी राहुल (KL Rahul) कम नहीं रहे। इस सीजन उन्होंने 53.9 के औसत से और 149.7 के स्ट्राइक रेट से 539 रन बनाए। राहुल का ओवरऑल टी-20 रेकॉर्ड भी शानदार है। वह 72 मैचों में करीब 140 के स्ट्राइक रेट और 37.75 की औसत से 2265 रन बना चुके हैं।

किसी से तुलना मकसद नहीं...

क्योंकि राहुल अपनी जगह हैं, गिल अपनी जगह और यशस्वी जायसवाल या श्रेयस अय्यर अपनी जगह। बात है राहुल ने जो अभी तक टीम के लिए किया है, उसके लिए उनके प्रति जताए जाने वाले सम्मान की। 33 साल का एक खिलाड़ी जो दर्जनों बार टीम से अंदर-बाहर हो चुका है - और जो जितनी बार बाहर गया, वापसी भी उतनी ही धमाकेदार की - क्या उसे एक ओर मौका नहीं मिलना चाहिए था?

राहुल का पूरा करियर ही किसी और की परछाई में सिमट कर रह गया है। पहले उन्हें जगह नहीं मिल पाती थी क्योंकि विराट और रोहित जैसों के रहते उन्हें कहां एडजस्ट किया जाता। अब मुश्किल है कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों - जितेश शर्मा, गिल, यशस्वी के बीच उन्हें कैसे एडजस्ट किया जाए।

लेकिन राहुल (KL Rahul) जैसे खिलाड़ी एडजस्ट करने वाले नहीं होते। जब उन्होंने खेलना शुरू किया था, तब सभी ने कहा था कि वह नेक्स्ट बिग थिंग हैं यानी भारतीय क्रिकेट में अगला बड़ा धमाका। यकीन कीजिए, वह अब भी वहीं हैं, लेकिन अपनी बारी के इंतजार में। राहुल अब पहले से ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि वह पहले से ज्यादा जिम्मेदारी लेते हैं। उनका अनुभव उनका सबसे बड़ा हथियार बन चुका है।

राहुल वह कैरेक्टर हैं, जो हम सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में होते हैं। वह सबसे बड़े संकटमोचक होते हैं, अपनी भूमिका बदल देते हैं, बलिदान करते हैं। ऐसे कैरेक्टर को टीम से बाहर नहीं किया जाता। 

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