Raksha Bandhan : एक राखी के कितने नाम, कहीं समुद्र देवता की पूजा, कहीं बदलते हैं जनेऊ

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क्षा बंधन (Raksha Bandhan) पर जितनी रंग-बिरंगी राखियां होती हैं, उतनी ही रंग-बिरंगी हैं इससे जुड़ी परंपराएं। देश के विभिन्न हिस्सों में Raksha Bandhan अलग-अलग तरह से मनाते हैं, uplive24.com पर यह खास पेशकश।

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) सिर्फ भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में अलग-अलग नाम और परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला बहुआयामी पर्व है। इस साल यह पावन अवसर 09 अगस्त 2025, शनिवार को सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima 2025) के दिन पड़ेगा। खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन भद्रा (Bhadra) रहित है, यानी राखी बांधने का शुभ समय पूरे दिन उपलब्ध रहेगा (Raksha Bandhan 2025 muhurat)।

आइए जानते हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों में Raksha Bandhan की रोचक लोकमान्यताएं

नारली पूर्णिमा (Narali Purnima 2025) - समुद्र देवता की विशेष पूजा

उत्तर भारत में जहां इस दिन राखी (Rakhi 2025) बांधी जाती है, वहीं कोंकण और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में इसे नारली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है।

Raksha Bandhan के दिन मछुआरे समुद्र के देवता भगवान वरुण की पूजा करते हैं और समुद्र में नारियल अर्पित करते हैं, ताकि जल में उनका जीवन सुरक्षित रहे और रोजी-रोटी में बरकत बनी रहे। साथ ही, नाव और जाल की भी विशेष पूजा होती है। यह परंपरा समुद्र तट पर जनेऊ बदलने की रस्म के साथ पूरी होती है।

अवनि अवित्तम (Avani Avittam) - वेदपाठियों का जनेऊ बदलने का पर्व

केरल, तमिलनाडु और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में यह दिन (Raksha Bandhan 2025) अवनि अवित्तम के रूप में मनाया जाता है।

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'अवनि' तमिल कैलेंडर का एक महीना है और 'अवित्तम' 27 नक्षत्रों में से एक है। इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण समुद्र या पवित्र नदी के किनारे विधिपूर्वक स्नान कर नया यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करते हैं। यह पर्व भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार से भी जुड़ा है, जिनके बारे में मान्यता है कि उन्होंने वेदों की रक्षा के लिए यह रूप धारण किया था।

श्रावणी पर्व (Shrawani Parv) - गंगा स्नान और ऋषियों की पूजा

उत्तराखंड में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के दिन श्रावणी पर्व भी बड़े विधि-विधान से मनाया जाता है। लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं, ऋषियों की पूजा और तर्पण करते हैं तथा नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं। यहां मंदिर के पुजारी अपने यजमान को रक्षासूत्र बांधकर शुभ आशीर्वाद देते हैं।

वैदिक राखी और क्षेत्रीय परंपराएं

उत्तर भारत में वैदिक राखी या रक्षा पोटली बांधने की परंपरा है, जिसमें एक पोटली में अक्षत, चंदन, रोली और स्वर्ण रखकर भाई की कलाई पर बांधा जाता है।

राजस्थान में राम राखी (Ram Rakhi) और चूड़ा राखी या लुंबा बांधने की रस्म होती है। राम राखी पीले फुलरे वाला धागा होता है, जो भगवान को अर्पित किया जाता है, जबकि चूड़ा राखी ननद अपनी भाभी की चूड़ियों में बांधती है।

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