History of Nepal : मुगलों से कैसे आजाद रहा नेपाल?
https://uplive24.com/history-of-nepal-why-the-mughals-and-the-british-did-not-attack/
नेपाल में इन दिनों राजशाही की मांग (Demand for monarchy in Nepal) को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। देश में गणतंत्र स्थापित होने के बावजूद एक तबका चाहता है कि नेपाल में फिर से राजशाही लौटे। इतिहास गवाह है कि नेपाल (History of Nepal) ने हमेशा अपने अलग अस्तित्व को बनाए रखा है, चाहे वह भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे बड़े राजनीतिक परिवर्तन हों या फिर बाहरी आक्रमणों की चुनौती। दिलचस्प बात यह है कि तीन सौ वर्षों तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन करने वाले मुगल भी नेपाल पर अपना अधिकार नहीं जमा सके।
मुगल सल्तनत की जड़ें भारत में बहुत गहरी थीं। बाबर से लेकर औरंगजेब (Babur and Aurangzeb) तक, मुगलों ने भारत के विभिन्न हिस्सों को अपने शासन में शामिल किया। उन्होंने राजपूतों, मराठाओं और दक्षिण भारत के शासकों से लगातार युद्ध किए, लेकिन नेपाल (History of Nepal) की ओर कभी रुख नहीं किया। यह सवाल उठता है कि जब मुगलों ने भारत के हर कोने को जीतने का प्रयास किया, तो नेपाल उनके हमले से कैसे बचा रहा?
किले जैसा था पूरा देश
नेपाल पर मुगलों (Mughals) के आक्रमण न करने के पीछे कई प्रमुख कारण थे। सबसे पहला कारण था नेपाल की दुर्गम भौगोलिक स्थिति। हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ नेपाल प्राकृतिक रूप से एक किले जैसा था। मुगल सेना हाथियों, घोड़ों और ऊंटों पर निर्भर थी, जो पहाड़ी रास्तों पर चलने में सक्षम नहीं थे। युद्ध सामग्री के साथ इन दुर्गम पहाड़ों को पार करना लगभग असंभव था।
मौसम से हार मान गए मुगल (Mughals)
दूसरा बड़ा कारण था नेपाल की ठंडी जलवायु। मुग़ल सैनिक मैदानी इलाकों में युद्ध करने के लिए प्रशिक्षित थे, लेकिन हिमालय की जमा देने वाली ठंड से लड़ने का उन्हें कोई अनुभव नहीं था। इतिहास में यह देखा गया है कि जब बंगाल के सुल्तान शम्सुद्दीन इलियास शाह ने 1349 में नेपाल पर आक्रमण किया, तो उसकी सेना को ठंड और बीमारियों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह, 18वीं सदी में मीर कासिम ने भी नेपाल पर हमला किया, लेकिन नेपाली गोरखाओं ने उसे आसानी से हरा दिया।
आर्थिक नुकसान होता
नेपाल के इतिहास (History of Nepal) को देखें तो तीसरी बड़ी वजह आर्थिक है। नेपाल एक समृद्ध राज्य था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि मुगलों को उसके लिए युद्ध छेड़ना फायदेमंद लगता। युद्ध में जितना खर्च आता, उतना धन नेपाल से मिलने की संभावना नहीं थी। इसके अलावा, नेपाल तिब्बत के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग था, और अगर मुगल नेपाल पर आक्रमण करते, तो इससे तिब्बत के साथ उनके व्यापार को नुकसान पहुंच सकता था।
जीते लेते, पर काबू में नहीं रख पाते
चौथा कारण था राजनीतिक अनावश्यकता। नेपाली इतिहास (History of Nepal) बताता है कि यह एक स्वतंत्र हिंदू-बौद्ध राज्य था, जिसने कभी मुगलों के लिए कोई खतरा उत्पन्न नहीं किया। नेपाल पर हमला करने से केवल मुगल प्रशासन की मुश्किलें बढ़तीं। अकबर और औरंगजेब (Akbar and Aurangzeb) के शासनकाल में विद्रोह पहले ही एक बड़ी समस्या बने हुए थे। नेपाल को जीतने का मतलब था एक और विद्रोही क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेना, जिसकी देखभाल में और अधिक संसाधन खर्च होते।
नेपाल की भौगोलिक स्थिति ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। इतिहास में यही कारण रहा कि अंग्रेजों ने भी पूरे नेपाल को जीतने का प्रयास नहीं किया। 1814 के एंग्लो-नेपाली युद्ध के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने केवल नेपाल के समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा किया, लेकिन पूरे नेपाल को अधीन करने से बची। अंग्रेजों की रणनीति भी वही थी जो मुगलों की थी, नेपाल को जीतना युद्ध और प्रशासन की दृष्टि से घाटे का सौदा था।
नेपाल का इतिहास (History of Nepal) दर्शाता है कि इस छोटे से हिमालयी राष्ट्र ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी। चाहे वह मुगल हों या अंग्रेज, किसी ने भी इस पर पूरी तरह से अधिकार नहीं जमाया। आज, जब नेपाल में राजशाही को लेकर बहस चल रही है, तब भी यह देश अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा है। इतिहास गवाह है कि नेपाल ने हमेशा अपनी पहचान को बचाए रखा है और बाहरी आक्रमणों से स्वयं को सुरक्षित रखा है।

Comments
Post a Comment