TRF : कौन है पहलगाम में खून बहाने वाला पाकिस्तान का नया चेला

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पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक चेहरे The Resistance Front (TRF) ने पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Attack) की जिम्मेदारी ली है। 

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Attack) ने एक बार फिर आतंक की भयावह तस्वीर सामने रख दी है। अमरनाथ यात्रा से कुछ ही हफ्ते पहले हुए इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं। इस बर्बर हमले की जिम्मेदारी ली है The Resistance Front (TRF) नामक एक पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने, जो सीधे-सीधे लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba LeT) का ही मुखौटा है।

आतंक का नया चेहरा

TRF की स्थापना अगस्त 2019 में हुई थी, जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था। इसके बाद से ही TRF लगातार घाटी में अस्थिरता फैलाने, गैर-स्थानीय नागरिकों और प्रवासी मज़दूरों को निशाना बनाने में जुटा है। TRF ने खुले तौर पर कहा है कि जो भी कश्मीर में बसने आएगा, वह उनका दुश्मन है और उसके खिलाफ 'जिहाद' जारी रहेगा।

सरकार ने TRF को पिछले साल गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया था और इसे Unlawful Activities Prevention Act (UAPA) के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इस संगठन की कमान संभाल रहा है शेख सज्जाद गुल, जिसे भारत सरकार पहले ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है। TRF की रणनीति है कि आतंक का चेहरा बदलकर वो कश्मीर में दहशत फैलाना जारी रखे।

आतंक का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद

पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के पीछे जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद। यह लश्कर का टॉप कमांडर है और पेशावर स्थित आतंकी केंद्र से ऑपरेशन चला रहा है। अमेरिका के खुफिया रिकॉर्ड्स के अनुसार, खालिद Jamaat-ud-Dawa (JuD) के समन्वयक के रूप में भी काम कर चुका है और MML (Milli Muslim League) का अध्यक्ष रह चुका है।

उसकी भूमिका केवल सीमा पार आतंक को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह कश्मीर में हिंसा फैलाने, हथियारों की तस्करी और युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने में भी सक्रिय है। खालिद और उसके साथियों ने इस हमले की साजिश Rawalkot में रची थी, जिसमें अबू मूसा नामक दूसरा आतंकी भी शामिल है।

TRF का खूनी रिकॉर्ड

TRF का नाम पहली बार अप्रैल 2020 में तब सामने आया जब कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में पाकिस्तानी आतंकियों ने सेना के खिलाफ चार दिन लंबी मुठभेड़ की थी। इस ऑपरेशन में भारत के पांच जवान शहीद हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2024 में गांदरबल में एक निर्माण स्थल पर हमला कर एक डॉक्टर और छह प्रवासी मज़दूरों को मार डाला गया। यह सभी हमले TRF ने किए हैं।

आतंकवाद के खिलाफ सख्ती की जरूरत

Pahalgam Terror Attack सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि भारत की अखंडता पर सीधा हमला है। यह स्पष्ट है कि TRF जैसे संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का पूरा समर्थन प्राप्त है। अब समय आ गया है जब भारत को इन आतंकी संगठनों और उनके सरपरस्त पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलकर बात करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के तुरंत बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर, NSA अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ आपात बैठक की। उन्होंने साफ कहा कि इस जघन्य हमले के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा और आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।

Pahalgam Terror Attack ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद आज भी भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। TRF जैसे आतंकी संगठनों को जड़ से समाप्त करना समय की मांग है। भारत को न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक रणनीति अपनाने की जरूरत है। आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई अब सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की है।

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