Basava Raju : 15 दिनों की प्लानिंग और तीन दिनों की जंग, ऐसे मारा गया सबसे बड़ा नक्सली बसव राजू

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बसवराजू (Basava Raju) केवल CPI (माओवादी) का सर्वोच्च कमांडर ही नहीं, इस पूरे आंदोलन की रीढ़ था। उसकी मौत के बाद नक्सली अब सिर नहीं उठा पाएंगे।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अभूझमाड़ के जंगलों में बुधवार को एक ऐतिहासिक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 27 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया। इन मारे गए उग्रवादियों में भारत का सबसे बड़े माओवादी नेता और सीपीआई (माओवादी) महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू (Basava Raju) भी शामिल था। यह पहली बार है जब नक्सलवाद के खिलाफ चल रही तीन दशक पुरानी लड़ाई में इतने ऊंचे पद पर बैठे माओवादी नेता को मार गिराया गया है।

देश के नंबर-1 नक्सली का खात्मा

बसवराजू (Basava Raju) माओवादी पार्टी की रीढ़ माना जाता था। उसके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। उसकी मौत को नक्सली आंदोलन (Naxal Movement) के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने ऑपरेशन के बाद सोशल मीडिया पर लिखा, 'नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। पहली बार एक महासचिव स्तर के नक्सली को हमारी सुरक्षा बलों ने मार गिराया है।'

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी एक्स पर लिखा, 'इस उल्लेखनीय सफलता के लिए हमें अपने सैन्य बलों पर गर्व है। हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और हमारे लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।'

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि बसवराजू (Basava Raju) का शव पहचान लिया गया है और यदि जरूरत पड़ी तो डीएनए टेस्ट भी कराया जाएगा। 

72 घंटे की जंग

यह मुठभेड़ अचानक नहीं हुई थी। लगभग 15 दिनों की प्लानिंग और सटीक खुफिया सूचनाओं के आधार पर यह ऑपरेशन अंजाम दिया गया। DRG की चार यूनिट्स - नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव से जवान जंगल में उतरे थे। 

लड़ाई उस वक्त शुरू हुई जब सुरक्षाबलों ने Basava Raju और उसके साथियों के ठिकाने को घेर लिया। करीब 20 किमी दूर जंगल के अंदर बंदूकों की आवाजें गूंजने लगीं।

तीन दिनों तक चले इस ऑपरेशन में जहां 27 नक्सली (Naxali killed in operation) मारे गए, वहीं एक DRG जवान शहीद हुआ और कुछ घायल हुए, जिनका इलाज जारी है।

जंगलों की ताकत है DRG

DRG यानी District Reserve Guards, छत्तीसगढ़ पुलिस की एक विशेष यूनिट है, जिसमें स्थानीय युवाओं और आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व नक्सलियों को शामिल किया गया है। इनका गठन 2015 में हुआ था और तब से यह फोर्स नक्सलियों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयों में फ्रंटलाइन पर रही है।

कौन था बसवराजू (Basava Raju)

बसवराजू का असली नाम नंबाला केशव राव था। वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले से ताल्लुक रखता था। वारंगल स्थित रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र नेता रहा। 1980 के दशक में रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन के बैनर तले चुनाव भी लड़ा था।

1985 में वह अंडरग्राउंड हो गया और 'पीपल्स वॉर ग्रुप' में शामिल होकर धीरे-धीरे माओवादी आंदोलन के शीर्ष तक पहुंच गया। 2004 में पीडब्ल्यूजी और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के विलय के बाद CPI (Maoist) बनी, तो बसवराजू (Basava Raju) इसका चेहरा बन गया।

बसवराजू (Basava Raju) CPI (माओवादी) का सर्वोच्च कमांडर और इस पूरे आंदोलन की रीढ़ था। 2018 में माओवादी संगठन के संस्थापक गणपति के इस्तीफे के बाद उसने नेतृत्व संभाला। उसने कई हिंसक हमलों की साजिश रची। माना जा रहा है कि उसकी मौत के बाद अब कोई दूसरा नक्सली नहीं, जो कैडर को एकजुट कर सके।

अब तक ऑपरेशन 'ब्लैक फॉरेस्ट' के तहत 54 नक्सली गिरफ्तार हो चुके हैं और 84 ने आत्मसमर्पण किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का पूर्ण खात्मा करने का संकल्प लिया गया है। 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी DRG की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा कि यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। हमने कई बार माओवादियों से आत्मसमर्पण की अपील की, लेकिन अब समय आ गया है कि जवाब सिर्फ कार्रवाई से दिया जाए।

बसवराजू (Basava Raju) की मौत केवल एक व्यक्ति का अंत नहीं है, बल्कि उस विचारधारा के केंद्रीय चेहरे का खात्मा है, जिसने दशकों तक भारत के जंगलों में खून-खराबा किया। अब जबकि पार्टी नेतृत्वविहीन हो चुकी है, सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि यह लड़ाई अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है।

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