Sindoor : पाकिस्तान की धरती को लाल करने वाला 'सिंदूर' आया कहां से?
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ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से भारत ने पहलगाम का बदला पूरा किया। आतंकियों ने जिस सिंदूर को मिटाने की कोशिश की थी, उसी से भारतीय सेना ने पाकिस्तान को लाल कर दिया। जानते हैं कि क्या है इस शब्द के पीछे का इतिहास।
Vermilion (वर्मिलियन) - इस एक शब्द में रंग, संस्कृति, रसायन और रहस्य का ऐसा मेल है, जो आपको दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं की सैर पर ले जाता है। हिंदी में इसे आमतौर पर सिंदूर (Sindoor) या हिंगुल कहा जाता है, परंतु इसका इतिहास केवल मांग में भरे जाने तक सीमित नहीं है। यह रंग कभी सम्राटों की महिमा का प्रतीक था, कभी विष का स्रोत बना, और कभी कला की आत्मा।
Vermilion शब्द लैटिन के vermis (कीड़ा) से आया है, क्योंकि पुराने समय में लाल रंग कीड़े से भी बनता था, जैसे कोचीनिल। वैसे वर्मिलियन प्राकृतिक रूप से एक खनिज से बनता है जिसे Cinnabar कहा जाता है। यह पारे और गंधक का मिश्रण होता है। इसे जब पीसते हैं, तो बनता है चमचमाता हुआ लाल रंग - इतना चमकीला कि जैसे किसी देवी की आंखें हों या सूर्य की आग।
चीन में अमरता की लाल परत
आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्मिलियन का सबसे पुराना प्रयोग चीन में करीब 2000 ईसा पूर्व से होता आ रहा है। वहां इसे Zhu Sha कहा जाता था और Tao धर्म के अनुयायी इसे जीवन शक्ति (Chi) को जगाने वाला रंग मानते थे। सम्राटों की कब्रें इसी लाल रंग से रंगी जाती थीं ताकि आत्मा को स्वर्ग का रास्ता मिले।
लेकिन किस्मत देखिए, जिस रंग को अमरता का द्वार माना गया, उसी में छिपा था धीमा जहर। Cinnabar में मौजूद पारा धीमे-धीमे शरीर को अंदर से खा जाता था। कई राजाओं और साधुओं की मौत हो गई, पर लाल रंग का मोह फिर भी न छूटा।
रोमन ने सिंदूर (Sindoor) के लाल रंग को माना पवित्र
मिस्र की रानी क्लियोपैट्रा के होंठों पर जो गहरा लाल रंग दिखता है, वह वर्मिलियन (Sindoor) ही था। वहां की रानियां और पुजारी इसे सौंदर्य और पवित्रता दोनों के लिए इस्तेमाल करते थे।
वहीं रोमन साम्राज्य में ये रंग इतना कीमती था कि इससे पेंट करने के लिए सरकारी अनुमति लेनी पड़ती थी। इसे पवित्र लाल (Sindoor) कहा जाता था - एक ऐसा रंग जो केवल राजा, देवता या मृत्यु के लिए सुरक्षित था।
भारत में Sindoor बना सुहाग की निशानी
भारत में जब यह लाल रंग पहुंचा तो उसने नई शक्ल ले ली - सिंदूर (Sindoor) की। मांग में भरा गया, देवियों को चढ़ाया गया, मंदिरों की दीवारों पर उकेरा गया। यह केवल सौंदर्य प्रसाधन नहीं रहा, बल्कि एक सामाजिक और आध्यात्मिक प्रतीक बन गया।
मांग में सिंदूर (Sindoor) एक स्त्री के जीवन की सबसे पवित्र घोषणा बन गई - सुहाग का संकेत, देवीत्व की पहचान।
आपने दुर्गा पूजा या शक्ति पीठों पर लाल सिंदूर की वर्षा देखी होगी। यह वही वर्मिलियन है, जो कभी किसी राजा की तलवार पर था, अब नारी के माथे पर आसीन है।
कला की दुनिया में लाल रंग का जुनून
सिंदूर (Sindoor) केवल धर्म या सत्ता तक सीमित नहीं था, यह यूरोप के कलाकारों का सपना भी था। माइकलएंजेलो से लेकर टर्नर तक, हर महान चित्रकार ने अपने कैनवास पर इसे जीवन की तरह बहाया।
पुराने चर्चों की भित्तियों में जो लाल रंग चमकता है, वह सिर्फ पेंट नहीं है - वह किसी खान से निकला ज्वालामुखी है, जिसे कलाकारों ने अमर कर दिया।
जब वैज्ञानिकों को देनी पड़ी चेतावनी
18वीं शताब्दी में विज्ञान ने चेताया कि Cinnabar जहरीला है। इसके लंबे इस्तेमाल से त्वचा विकार, मानसिक बीमारियां और मौत तक हो सकती है। तभी से कृत्रिम लाल रंग बनने लगे और धीरे-धीरे प्राकृतिक वर्मिलियन को इतिहास में छोड़ दिया गया।
आज बाजार में जो सिंदूर (Sindoor) मिलता है, वह अधिकतर सिंथेटिक डाई या रेड ऑक्साइड पाउडर होता है, न कि असली हिंगुल।

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