Immigration crisis : अमेरिका में प्रवासियों के साथ जानवरों जैसा सलूक, रिपोर्ट में खुलासा

 


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फ्लोरिडा की तीन इमिग्रेशन जेलों में प्रवासियों के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार का खुलासा हुआ है। खाने से लेकर इलाज तक, हर जगह लापरवाही और अपमानजनक हालात की रिपोर्ट सामने आई है। uplive24.com पर पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

'हमें खाना घुटनों के बल बैठकर खाना पड़ा, हाथ पीछे बंधे हुए थे। हम जानवरों की तरह खा रहे थे।' आपने फिल्मों में जेल के कई सीन देखे होंगे, जहां किसी कैदी को इस तरह की परिस्थिति में रहना पड़ता होगा। कई फिल्मों में तो जेलर और जेल कर्मियों को बिल्कुल किसी जल्लाद की तरह दिखाया गया है।

सोचिए कि अगर ऐसा सही में हो और वह भी अमेरिका में! और यह भी कि जो बयान अभी आपने पढ़ा, वह फिल्मी नहीं बल्कि हकीकत हो!

यह बयान अमेरिका के मियामी डिटेंशन सेंटर में कैद एक प्रवासी पेड्रो का है। Human Rights Watch, Americans for Immigrant Justice और Sanctuary of the South जैसी संस्थाओं ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें फ्लोरिडा की तीन प्रमुख इमिग्रेशन जेलों (Immigration Detention Centers) में प्रवासियों के साथ हो रहे अमानवीय और बर्बर व्यवहार को उजागर किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मियामी के डाउनटाउन फेडरल डिटेंशन सेंटर में दर्जनों प्रवासियों को घंटों तक एक छोटे सेल में बंद रखा गया, उनके हाथ पीछे बांध दिए गए और शाम 7 बजे तक खाना नहीं दिया गया। जब खाना मिला, तो उसे कुर्सियों पर रखकर घुटनों के बल बैठकर खाने को कहा गया।

यह घटना सिर्फ एक जेल की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की क्रूरता को उजागर करती है।

महिलाएं पुरुषों के सामने टॉयलेट करने को मजबूर

क्रोम नॉर्थ प्रोसेसिंग सेंटर मियामी के पश्चिम में स्थित है। वहां की स्थिति और भी भयावह मिली। महिलाओं को पुरुषों के सामने टॉयलेट करने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें न महिला स्वास्थ्य से जुड़ी कोई सुविधा दी गई, न ही स्नान या स्वच्छता के साधन।

खाने की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि बंदियों को पूरी रात भूखा रहना पड़ता था। कुछ बंदियों को 24 घंटे से ज्यादा समय तक पार्किंग में खड़ी बसों में बंद रखा गया, जहां एक ही टॉयलेट था, जो कुछ ही घंटों में जाम हो गया और पूरी बस में मल की बदबू फैल गई।

बंदियों को जानबूझकर नरक जैसे हालात में रखा गया। कई की हालत इतनी खराब हो गई कि उन्होंने बस में ही टॉयलेट कर  दिया।

जब बंदियों को बस से जेल के अंदर ले जाया गया, तो उन्हें सीमेंट के ठंडे फर्श पर रहने को मजबूर किया गया, वह भी बिना बिस्तर या गर्म कपड़ों के लगातार 12 दिनों तक। बंदियों ने बताया कि उस ठंड से बचने के लिए सभी एक-दूसरे से सटकर सोने की कोशिश करते थे।

विरोध करने पर कैमरे बंद कर की गई मारपीट

रिपोर्ट में एक और गंभीर आरोप सामने आया है। अप्रैल 2025 में एक बंदी को खून की उल्टियां हो रही थीं। जब बाकी लोगों ने जेल कर्मियों से कहा कि उसे इलाज दिया जाए, तो गार्डों ने उनके साथ मारपीट की। हमले से पहले सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिए गए। मारपीट में एक प्रवासी बंदी की अंगुली टूट गई।

सबसे बुरी खबर आई ब्राउवर्ड ट्रांजिशनल सेंटर (Broward Transitional Center) से, जहां 44 वर्षीय हैती मूल की महिला मैरी एंज ब्लेज की अप्रैल में मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे समय पर इलाज नहीं मिला।

प्रवासी बंदियों ने बताया कि चोट, बुखार, मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को जेल प्रशासन नजरअंदाज कर देता है। डिटेंशन सेंटर के कर्मचारी कहते हैं कि यह तो रोज का मामला है।

Donald Trump की नीतियों से बिगड़े हालात

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रवासियों को लेकर बेहद सख्त हैं। उन्होंने इस साल जनवरी में दूसरी बार पद संभाला है। इसके बाद से डिटेंशन और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया तेज हो गई है। प्रवासियों को तेजी से गिरफ्तार किया जा रहा है और जेलों में भरा जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के मध्य तक हर दिन औसतन 56,400 प्रवासी हिरासत में थे, जिनमें से 72% लोगों पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था।

प्रवासी बंदियों की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई है कि तीनों डिटेंशन सेंटर ओवरलोड हो चुके हैं। अब एवरग्लेड्स में 'Alligator Alcatraz' नाम की एक नई डिटेंशन जेल बनाई जा रही है, जहां 5,000 तक प्रवासियों को रखा जा सकेगा।

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