Somnath Shivling relics : क्या प्राचीन सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े मिल गए हैं?
सोमनाथ मंदिर और शिवलिंग के अवशेष (Somnath Shivling relics) मिलने के दावे ने नई बहस छेड़ दी है। श्री श्री रवि शंकर और रोहित गोपाल सूत महाराज ने इन अवशेषों के पास होने की बात कही है। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों का मानना है कि इसकी सच्चाई केवल वैज्ञानिक परीक्षण से ही सामने आ सकती है। uplive24.com पर पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
डॉ. बृजेश सती
सोमनाथ मंदिर और उसका शिवलिंग भारतीय संस्कृति व आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक माने जाते हैं। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ पहला ज्योतिर्लिंग है। हाल में सोमनाथ शिवलिंग के अवशेष (Somnath Shivling relics) मिलने का दावा आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों द्वारा किया गया है। पहले आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रवि शंकर ने शिवलिंग के अंश होने की बात कही थी। अब चित्तौड़गढ़ के भागवत कथा वाचक रोहित गोपाल सूत महाराज ने भी इसी तरह का दावा किया है।
पिछले दिनों दोनों की मुलाकात में इन अवशेषों (Somnath Shivling relics) का परीक्षण, विश्लेषण और पूजन किया गया। यदि ये सोमनाथ के प्राचीन शिवलिंग के अंश हैं, तो यह देश की आध्यात्मिक और पुरातात्विक धरोहर माना जाएगा। मगर इतिहासकारों और शोधकर्ताओं ने इन दावों पर संदेह जताया है। उनका कहना है कि हजार साल बाद शिवलिंग के अवशेष मिलना असंभव जैसा है और जब तक सैद्धांतिक प्रमाण सामने नहीं आते, ऐसे दावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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दो लोगों द्वारा पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के शिवलिंग के अंश (Somnath Shivling relics) मिलने के दावे की सच्चाई का निर्धारण परीक्षण के बाद ही संभव है। इसलिए आवश्यक है कि केंद्र सरकार का पुरातत्व विभाग इन दावों की सैद्धांतिक और वैज्ञानिक जाँच कराए, ताकि सत्य सामने आ सके।
क्या खास है इन शिवलिंग के अवशेषों (Somnath Shivling relics) में
भागवताचार्य रोहित गोपाल सूत महाराज का कहना है कि उन्हें ये चमत्कारिक शिवलिंग के अंश दैवीय संयोग से प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि चित्तौड़गढ़ के जंगलों में साधना के दौरान उन्हें ये अवशेष मिले और तब से वह इनका नियमित पूजन-अर्चन कर रहे हैं।
कुछ समय पहले आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रवि शंकर ने भी ऐसे ही शिवलिंग के अंश अपने पास होने की बात कही थी। रोहित गोपाल ने उनसे मुलाकात कर अवशेष दिखाए और बताया गया कि रवि शंकर ने भी इन अवशेषों की पूजा-अर्चना की है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि कर्नाटक के राज्यपाल ने भी इन चमत्कारिक शिवलिंग के अंशों की पूजा की।
श्री श्री रवि शंकर के पास भी हैं शिवलिंग के अंश (Somnath Shivling relics)
इतिहास के मुताबिक, 1026 ईस्वी में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और भीतर स्थित ज्योतिर्लिंग को नष्ट कर दिया था। विनाश से आहत कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मण गुप्त रूप से ज्योतिर्लिंग के टुकड़े लेकर तमिलनाडु चले गए थे, जहां उन्हें छोटे शिवलिंगों में ढाला गया और पीढ़ियों तक पूजा होती रही। बाद में उस ब्राह्मण परिवार की ओर से श्री श्री रवि शंकर को शिवलिंग के ये अवशेष (Somnath Shivling relics) दिए गए, और रवि शंकर ने सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा किया।
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ब्लैक स्टोन के हैं सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग
सोमनाथ शिवलिंग के अवशेष (Somnath Shivling relics) मिलने के दावे पर शोधकर्ता और इतिहासकार असमंजस जता रहे हैं। उनका कहना है कि जिन लोगों के पास अवशेष हैं, वे उनका सैद्धांतिक परीक्षण कराएं। इतिहासकार और सोमनाथ मंदिर के इतिहास पर पुस्तक के लेखक हर्ष पटेल ने बताया कि सोमनाथ और आसपास के मंदिरों में जो शिवलिंग हैं, वे काले ग्रेनाइट पत्थरों के बने हुए हैं। वहीं आर्ट ऑफ लिविंग के रवि शंकर के पास जो अवशेष बताए जा रहे हैं, वे सफेद ग्रेनाइट के बताए गए हैं।
हर्ष पटेल के अनुसार सोमनाथ के आसपास रावणेश्वर, सिद्धेश्वर और परमेश्वर महादेव जैसे मंदिर पांचवीं और छठी शताब्दी के हैं और उनमें जो शिवलिंग हैं, वे ब्लैक मार्बल के हैं। वर्तमान मंदिर में स्थित शिवलिंग को कुमार पाल ने 11वीं सदी में स्थापित किया गया था। सोमनाथ मंदिर परिसर के म्यूजियम में रखे शिवलिंग के अवशेष (Somnath Shivling relics) भी ब्लैक स्टोन के ही बनाए हुए हैं।
शिवलिंग स्थानीय शासकों और भक्तों ने स्थापित किया
स्वतंत्रता के बाद 1951 में सरदार पटेल के प्रयास से जो नया मंदिर बना, उसमें पुनः शिवलिंग प्रतिष्ठित किया गया। पुरातत्वविद् कहते हैं कि गर्भगृह में आज जो स्थापित शिवलिंग है, वही 1951 में स्थापित किया गया शिवलिंग है।
सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग को अनादि और अविनाशी माना जाता है। मान्यता है कि यह स्वयंभू (स्वतः प्रकट) है यानि किसी मनुष्य ने बनाकर स्थापित नहीं किया। भक्तों का विश्वास है कि चाहे कितनी भी बार आक्रमण हुआ हो, मंदिर टूटे या शिवलिंग खंडित किया गया हो, यह दिव्य शिवलिंग अपनी शक्ति से पुनः प्रकट हो जाता है। लोककथाओं में कहा जाता है कि यह शिवलिंग चंद्रमा ने स्वयं स्थापित किया था और इसी कारण इसका नाम सोमनाथ पड़ा।
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इतिहासकारों और पुरातत्व विभाग के अनुसार, सोमनाथ मंदिर 6वीं से 11वीं सदी के बीच कई बार बनना और टूटना का दौर देख चुका है। महमूद गजनी (1025 ई.) ने इसे लूटा और शिवलिंग तोड़कर टुकड़े (Somnath Shivling relics) ले गया। कहा जाता है कि बाद में मंदिर को आलाउद्दीन खिलजी और औरंगजेब के समय भी क्षति पहुंची।
दो लोगों ने पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शिवलिंग के अंश मिलने का दावा किया है, परंतु इन दावों की पुष्टि अभी नहीं हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन अवशेषों (Somnath Shivling relics) की सच्चाई का पता केवल वैज्ञानिक और पुरातात्विक परीक्षण के बाद ही चल सकेगा।
इस मामले में पुरातत्व विभाग और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को पहल करते हुए इन दावों का परीक्षण कराना चाहिए, ताकि सही तथ्य स्पष्ट रूप से सामने आ सकें।
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