ब्लड मून से इतना डरती क्यों थीं प्राचीन सभ्यताएं, क्या लिखा है बाइबिल में
सभी प्राचीन सभ्यताओं में चांद का जिक्र आता है। चंद्र ग्रहण को लेकर सभी जगह अलग-अलग मान्यताएं हैं, लेकिन बात जब ब्लड मून की हो, तो सभी इसे अशुभ मानने लगते हैं। इसके पीछे क्या है रहस्य (Blood Moon Mystery), जानिए uplive24.com पर।
7-8 सितंबर 2025 की रात आसमान में जब चंद्रमा लालिमा ओढ़ेगा, तो पूरी दुनिया उसे ब्लड मून (Blood Moon 2025) के नाम से पुकारेगी। विज्ञान के अनुसार यह महज एक पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse) है, लेकिन इतिहास और परंपराओं में इसकी कहानियां कहीं ज्यादा रहस्यमय हैं।
लोग कहते हैं – जब चांद लाल हो जाता है, तो धरती पर कोई बड़ा परिवर्तन होने वाला है। यह विश्वास सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया की तमाम सभ्यताओं में गूंजता रहा है। आइए चलते हैं इतिहास की उन गलियों में, जहां ब्लड मून को कभी डर, कभी भविष्यवाणी और कभी सत्ता के पतन से जोड़ा गया (Blood Moon Mystery)।
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बाइबिल की भविष्यवाणी में ब्लड मून (Blood Moon Mystery in Bible)
ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल में ब्लड मून का जिक्र मिलता है। Book of Joel और Book of Revelation में लिखा है - सूरज अंधकारमय होगा और चंद्रमा रक्त जैसा हो जाएगा, इसके बाद ईश्वर का महान दिन आएगा।
यानी प्राचीन ईसाई मान्यताओं में ब्लड मून को प्रलय या बड़े बदलाव का संकेत माना गया। जब भी लाल चांद दिखता, लोगों के दिलों में यह डर बैठ जाता कि अब कोई बड़ी घटना होने वाली है।
क्रिस्टोफर कोलंबस की ब्लड मून चाल
सन् 1504 में महान खोजी क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) चौथी यात्रा पर जमैका पहुंचे थे। वहां के स्थानीय लोग उन्हें मदद देने से मना कर चुके थे। भोजन खत्म हो रहा था और कोलंबस के जहाजी भूख से तड़प रहे थे।
तभी कोलंबस को अपने खगोलीय पंचांग की याद आई। उसमें लिखा था कि जल्द ही ब्लड मून (Blood Moon Mystery) आने वाला है। 29 फरवरी 1504 की रात, कोलंबस ने जमैकन लोगों को चेतावनी दी – अगर तुमने मेरी मदद नहीं की, तो ईश्वर नाराज़ होकर चांद को रक्त जैसा लाल कर देगा।
और हुआ भी वैसा ही। जैसे ही लालिमा से भरा चंद्रमा आसमान पर दिखा, लोग डर से कांप उठे और तुरंत कोलंबस को भोजन और पानी देने लगे। इस तरह ब्लड मून ने उस यात्री की किस्मत बचा ली।
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जगुआर का हमला और आत्मा पर खतरा...
बेबीलोन और मेसोपोटामिया के लोग मानते थे कि ब्लड मून उनके राजा पर संकट का संकेत है। इसलिए जब भी ब्लड मून दिखाई देता था, वे नकली राजा बैठा देते थे ताकि असली राजा पर कोई बुरा असर न पड़े।
माया लोग ब्लड मून को बुराई और विनाश का संकेत मानते थे (Blood Moon Mystery)। उनका विश्वास था कि चांद पर एक जगुआर हमला कर रहा है और उसकी आत्मा को खा रहा है। इसलिए वे ढोल और शोर मचाकर चांद की रक्षा करने की कोशिश करते थे।
चांद का लाल होना और साम्राज्यों का गिरना
इतिहास में कई युद्ध और साम्राज्यों के अंत भी ब्लड मून (Blood Moon Mystery) के साथ जुड़े हैं।
1453 में जब कॉनस्टैंटिनोपल (Constantinople) पर हमला हुआ और बाइजेंटाइन साम्राज्य ढह गया, उसी समय आसमान पर ब्लड मून दिखाई दिया। लोगों ने इसे साम्राज्य के अंत का संकेत माना।
अमेरिकी गृहयुद्ध (American Civil War) और वियतनाम युद्ध (Vietnam War) के दौरान भी ब्लड मून देखा गया और सैनिकों ने इसे रक्तपात का प्रतीक मान लिया।
2014-2015 की Blood Moon Tetrad
हाल ही में, 2014 और 2015 के बीच लगातार चार बार पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ। इसे Blood Moon Tetrad कहा गया। उस समय कई भविष्यवक्ताओं ने दावा किया कि यह दुनिया के अंत का संकेत है। सोशल मीडिया पर यह खबर आग की तरह फैली। लोग घबराए, चर्चों में प्रार्थनाएं हुईं, लेकिन आखिरकार यह एक खगोलीय घटना से ज्यादा कुछ साबित नहीं हुआ।
भारत में अशुभ का संकेत
भारत में भी ब्लड मून को शुभ नहीं माना जाता। प्राचीन शास्त्रों में इसे अशुभ योग बताया गया है। ज्योतिषियों का मानना है कि यह मानसिक तनाव, दुर्घटनाएं और राजनीतिक उथल-पुथल ला सकता है। ग्रामीण इलाकों में अब भी लोग मानते हैं कि ब्लड मून के समय गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए और घरों में पूजा-पाठ करनी चाहिए।
अब जान लीजिए कि ब्लड मून है क्या?
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की सीधी रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती। इस दौरान पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की रोशनी को मोड़ता है और सिर्फ लाल रंग की किरणें (Red Wavelengths) चंद्रमा तक पहुंचती हैं। इस प्रक्रिया को Rayleigh Scattering (रेले प्रकीर्णन) कहते हैं।
इसी कारण पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा सफेद या चमकीला नजर आने के बजाय लालिमा लिए हुए दिखता है। यही घटना Blood Moon कहलाती है।
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